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बाबा ने फिर उलझाया भाजपा को, विपक्ष को मौका, सरकार उलझन में

रविवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में जब इस्तीफा देने के बाद पहली बार 3 महीनें बाद किरोड़ीलाल मीणा ‘ बाबा ‘ पहुंचे तो भाजपा ने राहत की सांस ली। बाबा लगातार कैबिनेट बैठकों में आ ही नहीं रहे थे। विभाग में भी नहीं जाते। किसी फाइल को भी नहीं देखते। सरकारी गाड़ी का भी उपयोग नहीं करते। 3 महीनें पहले इस्तीफा देने के बाद से ही ये सब काम छोड़ दिये। 

रविवार को जब अचानक कैबिनेट बैठक में पहुंचे तो कयास शुरू हो गये। कहा जाने लगा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ का आग्रह मान बाबा बैठक में आए हैं। राठौड़ ने कुछ दिन पहले ही उनके फिर से काम संभालने का बयान दिया था। कुछ ने ये कहा कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्त्व ने बाबा को राजी कर लिया है। अब वे मंत्री बने रहेंगे और उप चुनाव में भी सक्रिय भागीदारी निभाएंगे। विपक्ष बाबा के इस कदम से स्तब्ध था। इसी कारण कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। भाजपा के नेता विपक्ष को चिढ़ाने में लग गए।

मगर बाबा तो बाबा है। अगले ही भाजपा प्रदेश कार्यालय में फिर बयान देकर भाजपा के उन नेताओं को उलझन में डाल दिया जो 24 घन्टे पहले खुश थे। अब उनके चेहरे पर खामोशी थी। बाबा ने पत्रकारों के सामने मुख्यमंत्री से आग्रह कर दिया कि वे उनका इस्तीफा तुरंत स्वीकार करें। भाजपा कार्यालय में खड़े होकर उनका ये कहना छोटी बात नहीं। क्योंकि कल तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को ही धन्यवाद दिया जा रहा था कि उनके सुझाव पर बाबा कैबिनेट की बैठक में आये हैं। ये खुशी 24 घन्टे में काफूर हो गई और भाजपा फिर उलझन में फंस गई। बाबा के मन में क्या है, इसका पता ही नहीं चल रहा। उलझन इसी बात की है।

बाबा का असर विधानसभा उप चुनाव में रहेगा, ये हर कोई जानता है। 7 में से 4 सीट ऐसी हैं जिन पर असर सीधा सीधा दिखता है। दौसा, देवली उणियारा, सलूम्बर व चौरासी की सीटें बाबा की राजनीति से भी जुड़ी है। इनमें से 3 सीटें भाजपा पहले से ही हारी हुई है। इस वजह से ही तो 3 महीनें में भी वो बाबा के इस्तीफे पर कोई निर्णय नहीं ले सकी है। लेने में हिचक रही है, ये कहना शायद ज्यादा सही होगा।

बाबा ने बैठे बिठाए विपक्ष को एक अवसर दे दिया। अभी कुछ दिन पहले ही तो कांग्रेस के सांसद हरीश मीणा, भजनलाल जाटव, उप नेता रामकेश मीणा आदि बाबा से सामाजिक मसले पर मिलने उनके घर गए। बाबा ने भी समाज के लिए साथ होने का वादा किया। उन सब पर कैबिनेट की बैठक में जाने से पानी फेरने की कोशिश भाजपा ने की मगर बाबा ने भाजपा कार्यालय में खड़े होकर इस्तीफा स्वीकार करने का आग्रह सीएम से कर पार्टी और सरकार को एक बार फिर उलझन में डाल दिया। कुल मिलाकर उप चुनाव की राजनीति इस पूरे मामले से प्रभावित होगी, इसमें कोई दो राय नहीं।



मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 

मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।